गुलज़ार

यकीन नहीं इस गुलिस्तां में ये महक कैसे गुलज़ार है, सदियों रही जो बंज़र ज़मीं आज फ़सलें इफ़्तिख़ार हैं। बहुत ख़ूबसूरत कोई फूल हो शायद या हो… Read more “गुलज़ार”